साझेदारों का उद्देश्य कोविड-19 महामारी पर प्रतिक्रिया के लिए प्रभावशाली न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडीज प्रदान करना है
अत्यावश्यक और अधूरी वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों व मांगों की दिशा में काम करने के लिए समर्पित गैर-लाभकारी वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन, आईएवीआई और टीके व बायोलॉजिक्स के एक अग्रणी निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लि. ने आज सार्स-सीओवी -2 न्यूट्रलाइजिंग मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज (mAbs) विकसित करने के लिए अग्रणी विज्ञान और प्रौद्योगिकी कंपनी मर्क के साथ एक अनुबंध की घोषणा की। इस एंटीबॉडी का आविष्कार आईएवीआई और स्क्रिप्स रिसर्च ने किया है। यह कोविड-19 महामारी से निपटने की दिशा में नवाचारी हस्तक्षेप है। यह समझौता एचआईवी व्यापक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी अनुसंधान और विकास में बरसों के अनुभव से प्राप्त आईएवीआई और स्क्रिप्स रिसर्च की उन्नत एंटीबॉडी खोज और अनुकूलन विशेषज्ञता तथा एमएबी उत्पादन के लिए तीव्र गति से विनिर्माण प्रक्रियाएं डिजाइन करने और उनका पैमाना बढ़ाने में मर्क और सीरम इंस्टीट्यूट की उल्लेखनीय क्षमताओं पर आधारित है। वैश्विक विकास योजना का नेतृत्व तीनों संगठनों द्वारा साझेदारी में किया जा रहा है। दोनों कंपनियों के अनुपूरक भौगोलिक क्षेत्रों में व्यापक नेटवर्क हैं, जो कोविड-19 के विश्वव्यापी प्रसार को देखते हुए पहुंच के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे। यदि इस साझेदारी के माध्यम से उन्नत हो रहे प्रबल और व्यापक क्रॉस-रिएक्टिव सार्स-सीओवी-2 न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी प्रत्याशी नैदानिक परीक्षणों में अकेले एंटीबॉडी या फिर दोनों प्रत्याशियों के कार्यक्षम संयोजन के तौर पर प्रभावोत्पादक दिखाई देते हैं, तो मर्क विकसित देशों में व्यवसायीकरण का नेतृत्व करेगा। सीरम इंस्टीट्यूट का सस्ती दवाएं विकसित करने में 50 से अधिक वर्षों का एक प्रमाणित ट्रैक रिकॉर्ड है और यह दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा उत्पादक है। सीरम इंस्टीट्यूट वैश्विक विनिर्माण के साथ-साथ भारत सहित निम्न और मध्यम-निम्न-आय वाले देशों में व्यवसायीकरण का नेतृत्व करेगा। आईएवीआई के अध्यक्ष और सीईओ, मार्क फीनबर्ग, एमडी, पीएच.डी. ने कहा, “हम कोविड-19 की प्रतिक्रिया में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के उपयोग की जबरदस्त क्षमता को लेकर गहराई से अवगत हैं। आईएवीआई और स्क्रिप्स रिसर्च की वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ अपने सहयोगियों की विकास, विनिर्माण और वितरण विशेषज्ञता को जोड़ते हुए हम उम्मीद करते हैं कि इस साझेदारी के परिणामस्वरूप विश्व स्तर पर एंटीबॉडी सुलभ होंगी और उन सभी के लिए उपलब्ध होंगी, जो उनसे लाभान्वित हो सकते हैं।” कार्यकारी मंडल के उपाध्यक्ष और मर्क के उप सीईओ व हेल्थकेयर के सीईओ, बेलेन गरिजो ने कहा, “आईएवीआई और सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर, हम कोविड-19 के प्रबंधन में इन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के संभावित अनुप्रयोग के प्रदर्शन के लिए आशान्वित हैं। हम इस भरोसा जगाने वाले विज्ञान की रफ्तार बढ़ाने और इस महामारी द्वारा प्रस्तुत वैश्विक चुनौतियों से निपटने की दिशा में प्रभावशाली समाधान देने के लिए एक सामान्य उद्देश्य साझा करते हैं।" सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ, आदर पूनावाला ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि हम दुनियाभर में सुलभ कराने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करते हुए कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आईएवीआई और मर्क के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारी तकनीक की व्यापकता और उसके पैमाने तथा विशेष रूप से कम आय वाले देशों में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने को लेकर हमारी दीर्घकालिक लगन को देखते हुए, मुझे विश्वास है कि हम और हमारे साझेदार एक उत्पादकतापूर्ण मार्ग पर हैं, जो कोविड-19 उपचार और संभवतः रोकथाम के लिए एक बेहद जरूरी, वैश्विक रूप से उपलब्ध साधन की दिशा में ले जाएगा।” कोविड-19 उपचार और रोकथाम के लिए सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ न्यूट्रलाइजिंग एमएबी को व्यापक तौर पर आशाजनक प्रत्याशी माना जाता है।1,2 पूर्व-नैदानिक शोध3 और प्रारंभिक नैदानिक परीक्षणों 4,5 में कोविड-19 एंटीबॉडी उपचार को लेकर उत्साहजनक परिणाम उभरकर आए हैं। सार्स-सीओवी-2 न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज जैसे नवाचारी उपचारों की न सिर्फ महामारी के खिलाफ तत्काल प्रतिक्रिया के लिए बेहद जरूरत है, बल्कि संभावना है कि प्रभावी टीका उपलब्ध होने के बाद भी उनकी जरूरत बनी रहेगी। एमएबी में उपचार और संभावित रूप से रोकथाम दोनों के लिए कोविड-19 टीकों के प्रति एक महत्वपूर्ण अनुपूरक भूमिका निभाने की क्षमता है, विशेषकर उन व्यक्तियों के लिए, जो उम्र या चिकित्सा संबंधी अवस्थाओं के कारण टीकाकरण से लाभ नहीं उठा सकते हैं। कई विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि कोविड-19 एक स्थानिक, या स्थायी रूप से परिचालित रोग बन जाएगा6,7, इसे देखते हुए और प्रभावित लोगों के एक उल्लेखनीय हिस्से में लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए, प्रभावी थैरेपीज उन लोगों के इलाज के लिए आवश्यक होंगी जिन्हें टीका नहीं लग पाता है या जिन्हें टीकाकरण सुरक्षा नहीं दे पाता है। स्क्रिप्स रिसर्च में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी सेंटर (एनएसी) के वैज्ञानिकों की एक टीम स्क्रिप्स रिसर्च के साथी प्रतिरक्षाविदों के साथ उस टीम का हिस्सा थी, जिसने कोविड-19 से ठीक हो चुके रोगियों के रक्त में एंटीबॉडी की पहचान की जो कि कोविड-19 का कारण बनने वाले सार्स-सीओवी-2 वायरस को संभावित रूप से बेअसर करने में सक्षम हैं। जिन पशुओं को ये न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज दी गई थीं, वे सार्स-सीओवी-2 की चुनौती के बाद बीमारी से सुरक्षित रहे। ये नतीजे जून 2020 में साइंस में प्रकाशित हुए थे। आईएवीआई और स्क्रिप्स रिसर्च के वैज्ञानिकों और उनके सहयोगियों द्वारा पहचाने गए एमएबी का पोर्टफोलियो कोविड-19 के साथ-साथ भविष्य में सामने आने या पुन: उभर सकने वाले अन्य कोरोना वाइरसों को लेकर उपचार व रोकथाम के संभावित अनुप्रयोग से युक्त एक व्यापक कार्यक्रम की नींव रखता है। स्क्रिप्स रिसर्च में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर व अध्यक्ष और आईएवीआई एनएसी के वैज्ञानिक निदेशक, डेनिस बर्टन, पीएचडी ने कहा, “आईएवीआई और स्क्रिप्स रिसर्च के वैज्ञानिकों द्वारा अत्यधिक सक्षम सार्स-सीओवी-2 न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी की त्वरित खोज अत्याधुनिक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विज्ञान को लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में बदलने के लिए प्रतिबद्ध एक टीम के जबरदस्त सहयोगपूर्ण प्रयासों से संभव हो सकी। हम सभी को आशा है कि ये कोविड-19 महामारी के व्यक्तिगत और सामाजिक प्रभाव को सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।" मर्क और सीरम इंस्टीट्यूट के साथ आईएवीआई के अनुबंध के तहत, साझेदार कोविड-19 के उपचार में एंटीबॉडी का मूल्यांकन करने के लिए पूर्व-नैदानिक और नैदानिक अनुसंधान का एक त्वरित और एकीकृत कार्यक्रम संचालित करेंगे। नैदानिक परीक्षण का पहला चरण 2021 के आरंभिक दौर में शुरू होने की उम्मीद है। विकसित किए जा रहे एमएबी प्रत्याशियों के सुरक्षित और प्रभावोत्पादक होने पर, मर्क और सीरम इंस्टीट्यूट यह सुनिश्चित करने में मदद करेंगे कि थैरेपी तेजी से और व्यापक रूप से उपलब्ध और सुलभ हो। विकास के इन प्रयासों में साझेदारों के साथ अद्वितीय क्षमताओं वाली दो जानी-मानी कंपनियां जुड़ रही हैं। भारत के बेंगलुरु में स्थित सिनजीन इंटरनेशनल लिमिटेड, एशिया का सबसे बड़ा अनुबंध अनुसंधान और विनिर्माण संगठन है। अपनी नवाचार-केंद्रित शोध और विकास क्षमताओं के माध्यम से वे सार्स-सीओवी-2 एमएबी प्रत्याशियों के नैदानिक विकास का समर्थन करने हेतु विकास और जांच-परख के संचालन के लिए एक सहयोगी भागीदार हैं। कैलिफोर्निया-आधारित जैवअभियांत्रिकी कंपनी, एटीयूएम ने इस सहयोगपूर्ण कार्य के माध्यम से उन्नत हो रहे सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी प्रत्याशियों के निर्माण के लिए आवश्यक स्थिर सेल लाइनों को विकसित करने के लिए अपने लीप-इन ट्रांसपोजेज® प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है। यह प्रयास अनुसंधान से नैदानिक विकास के चरण में तेजी से और मजबूत ढंग से पहुंचना मुमकिन बना रहा है। आईएवीआई ने हाल ही में वेलकम द्वारा अधिकृत, कार्रवाई के लिए वैश्विक आह्वान प्रकाशित किया है, जो विभिन्न एलएमआईसी में एमएबी तक न्यायपूर्ण समान पहुंच की कमी को उजागर करता है। यह प्रकाशन पहुंच संबंधी समस्या को हल कर सकने वाली कार्रवाइयों के समूह प्रस्तावित करता है, जिनमें वैश्विक स्वास्थ्य खिलाड़ियों से दुनिया भर में किफायती एमएबी की जरूरत की पूर्ति के लिए नवाचारी साझेदारी बनाने का आह्वान शामिल है। आईएवीआई, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और मर्क के बीच सहयोगपूर्ण कार्य, दरअसल कार्रवाई के आह्वान में निर्धारित की गई वही नवाचारी साझेदारी है जो विभिन्न एलएमआईसी में सार्स-सीओवी-2 एमएबी की किफायती सुलभता को संभव बनाने में एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकती है और संक्रामक व गैर-संचारी रोगों की एक श्रृंखला के लिए एमएबी हेतु ज्यादा व्यापक रूप से अनुप्रयुक्त की जा सकती है। ______________________________ 1Marovich M, Mascola JR, Cohen MS. Monoclonal antibodies for prevention and treatment of COVID-19. JAMA. 2020 Jul 14;324(2):131-2. 2Gale J. Early Covid-19 treatments could be bridge to vaccine, Fauci says. Bloomberg. September 26, 2020. 3Rogers TF, Zhao F, Huang D, Beutler N, Burns A, He WT, Limbo O, Smith C, Song G, Woehl J, Yang L. Isolation of potent SARS-CoV-2 neutralizing antibodies and protection from disease in a small animal model. Science. 2020 Aug 21;369(6506):956-63. 4Wadman M. Eli Lilly reports promising first results for an antibody against COVID-19. Science. September 16, 2020. 5Cohen J. “Provocative results” boost hopes of antibody treatment for COVID-19.Science. September 30, 2020. 6Begly S. Experts envision two scenarios if the new coronavirus isn’t contained. Stat. February 4, 2020. 7Sheahan TP, Frieman MB. The continued epidemic threat of SARS-CoV-2 and implications for the future of global public health. Current Opinion in Virology. 2020 Jun 4. आईएवीआई के बारे में आईएवीआई एचआईवी और तपेदिक सहित अत्यावश्यक और अधूरी वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों व मांगों की दिशा में काम करने के लिए समर्पित एक गैर-लाभकारी वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन है। इसका मिशन वैज्ञानिक खोजों को सस्ते, विश्व स्तर पर सुलभ सार्वजनिक स्वास्थ्य समाधानों में बदलना है। iavi.org पर ज्यादा जानकारी प्राप्त करें। मर्क के बारे में एक अग्रणी विज्ञान और प्रौद्योगिकी कंपनी मर्क स्वास्थ्य सेवा, जीवन विज्ञान और प्रदर्शन सामग्रियों के क्षेत्र में काम करती है। इसके लगभग 57,000 कर्मचारी जीवन जीने के लिए अधिक खुशहाल और संवहनीय तरीके निर्मित करते हुए हर दिन लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करते हैं। जीन एडिटिंग तकनीकों को उन्नत बनाने और सबसे चुनौतीपूर्ण बीमारियों के इलाज के लिए अनोखे तरीके खोजने से लेकर उपकरणों की बुद्धिमत्ता को संभव बनाने तक - कंपनी हर जगह है। 2019 में, मर्क ने 66 देशों में 16.2 बिलियन यूरो की बिक्री की थी। वैज्ञानिक अन्वेषण और जिम्मेदारी भरी आंत्रप्रेन्योरशिप मर्क की तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति की कुंजी रही हैं। 1668 में अपनी स्थापना के बाद से मर्क इसी तरह से फली-फूली है। इसका संस्थापक परिवार सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी के बहुमत का स्वामी बना हुआ है। मर्क मर्क नाम और ब्रांड के वैश्विक अधिकार रखती है। अपवाद केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा हैं, जहां मर्क के व्यापार सेक्टर, स्वास्थ्य सेवा में ईएमडी सेरोनो, जीवन विज्ञान में मिलीपोरसिग्मा और प्रदर्शन सामग्रियों में ईएमडी के रूप में कामकाज का संचालन करते हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रा.लि. के बारे में वैश्विक स्तर पर उत्पादित और बिकी खुराक की संख्या (1.3 बिलियन से अधिक खुराक) के हिसाब से सीरम इंस्टीट्यूट अब दुनिया में टीकों का सबसे बड़ा निर्माता है। सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित टीके विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त हैं और दुनिया भर में लगभग 170 देशों में उनके राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं तथा दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचा रहे हैं। सीरम इंस्टीट्यूट कई तरह की बीमारियों के लिए मौजूदा एंटीबॉडी इम्युनोथैरेपीज के बायोसिमिलर विकसित कर रहा है, और 2017 में इसने रेबीज के खिलाफ एक नोवल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी पेश की थी। businesswire.com पर स्रोत संस्करण देखें: https://www.businesswire.com/news/home/20201022005283/en/ |
संपर्क : आईएवीआई केरी यंगडहल +1 212 847 1051 [email protected] सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रा. लिमिटेड मयंक सेन +919867974055 [email protected] मर्क गैंगोल्फ श्रिम्फ +49 151 1454 9591 [email protected] घोषणा (अस्वीकरण): इस घोषणा की मूलस्रोत भाषा का यह आधिकारिक, अधिकृत रूपांतर है। अनुवाद सिर्फ सुविधा के लिए मुहैया कराए जाते हैं और उनका स्रोत भाषा के आलेख से संदर्भ लिया जा सकता है और यह आलेख का एकमात्र रूप है जिसका कानूनी प्रभाव हो सकता है। |
