सफलता की कुंजी हार नहीं मानना है! नेशनल त्सिंग हुआ यूनिवर्सिटी (एनटीएचयू) में एक अंतःविषय अनुसंधान दल द्वारा शुरुआती बचपन की शिक्षा विभाग के प्रोफेसर यू-जू चाउ और इंस्टीट्यूट ऑफ सिस्टम न्यूरोसाइंस संस्थान से त्सुंग-हान कुओ के नेतृत्व में किए गए क्रॉस-प्रजाति अनुसंधान में पाया गया है कि बच्चों और चूहों के सामाजिक पदानुक्रम एक तरह से शुरुआती आयु में ही बन जाते हैं। इसमें हैरानी की बात यह पाई गई कि ये पदानुक्रम इस बात से निर्धारित नहीं होते हैं कि कौन अधिक मजबूत है, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि कौन झुकने या मानने को तैयार है। इस प्रेस विज्ञप्ति में मल्टीमीडिया है। पूरी विज्ञप्ति यहां देखें: https://www.businesswire.com/news/home/20220913005090/en/ उनका शोध सेल के एक सब-जर्नल आईसाइंस (iScience) में प्रकाशित हुआ था। उनका सुझाव है कि माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों के बीच सामाजिक संपर्क पर पूरा ध्यान देना चाहिए, और डरपोक या विनम्र बच्चों को अतिरिक्त मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। युवा माउस पदानुक्रम की पहचान करने के लिए किया जाने वाला प्रयोग एक "ट्यूब टेस्ट" है, जिसमें एक चूहे को एक प्रतिद्वंद्वी द्वारा एक संकीर्ण ट्यूब में पीछे हटने के लिए मजबूर किया जाता है। आश्चर्यजनक रूप से, परिणाम प्रमुख चूहों के किसी विशेष व्यवहार से निर्धारित नहीं होता है, बल्कि विनम्र चूहों के बीच झुकने के संकेत से होता है, जिसे "हारे हुए के निर्णय" के रूप में वर्णित किया जा सकता है। टीम ने प्रीस्कूलरों पर व्यवहार संबंधी प्रयोग भी किए और इसी तरह के परिणाम प्राप्त किए। चाउ ने कहा कि प्रतियोगिता जीतने वाले बच्चों को वास्तव में बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है। हारने वालों ने या तो आसानी से हार मान ली या अपने विरोधियों द्वारा हार स्वीकार करने के लिए आसानी से तैयार कर लिये गए। कुछ बच्चे दूसरों की प्रशंसा करके खेल पर हावी होने में सक्षम थे, विनम्र बच्चे कम अड़ने वाले थे और पीछे हटने की अधिक संभावना रखते थे। कुओ ने कहा कि परिणाम बताते हैं कि कभी-कभी सफलता की कुंजी केवल दृढ़ता और मूल लक्ष्य पर दृढ़ रहना होता है। चाउ बताते हैं कि माता-पिता और शिक्षकों को विनम्र और डरपोक बच्चों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। सफलता के सकारात्मक अनुभव प्रदान करके उनके आत्मविश्वास में सुधार करने से उनके पारस्परिक संबंधों को बहुत लाभ होगा। अध्ययन अनुसंधान और विकास कार्यालय द्वारा प्रायोजित किया गया था। छह साल पहले राष्ट्रीय सिंचू विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ एनटीएचयू के विलय के परिणामस्वरूप इस अनुकरणीय शोध सहित व्यापक सहयोग प्राप्त हुआ। चाउ और कुओ इस बात पर सहमत हुए कि परस्पर-अनुशासनात्मक सहयोग उनके शोध में एक नया दृष्टिकोण लाता है। चाउ ने कहा कि मानव अध्ययन में कई नैतिक प्रतिबंध हैं। इसके विपरीत, पशु प्रयोगों में बाधाओं की कम संख्या शोधकर्ताओं को चूहों में अधिक आक्रामक जोड़-तोड़ करने की अनुमति देती है। कुओ ने कहा कि चूंकि चूहे बात नहीं कर सकते, इसलिए हम उनके सामाजिक पदानुक्रम की व्याख्या करने के लिए केवल सरल व्यवहार देख सकते हैं। दूसरी ओर, बच्चों का व्यवहार बहुत अधिक जटिल और दिलचस्प होता है। एक अनुवर्ती परियोजना में, चाउ और कुओ ने एकेडेमिया सिनिका के डॉ. शि-बिंग यांग के साथ मिलकर काम किया और पदानुक्रम व स्मृति के बीच एक सकारात्मक संबंध पाया। अध्ययन से पता चला है कि याददाश्त बढ़ाने वाली दवाएं न केवल याददाश्त बल्कि चूहों में सामाजिक प्रभुत्व को भी बढ़ा सकती हैं। इसने यह भी सुझाव दिया कि बेहतर याददाश्त वाले बच्चे सामाजिक रणनीतियों को अपनाने और प्रमुख चेहरे के संकेतों को पहचानने में अच्छे होते हैं, जो नेतृत्व के लिए अनुकूल है। यह शोध हाल ही में (Communications Biology) कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। स्रोत रूपांतर Businesswire.com पर देखें: https://www.businesswire.com/news/home/20220913005090/en/ |
संपर्क : होली एच सुएह एनटीएचयू (886)3-5162006 [email protected] घोषणा (अस्वीकरण): इस घोषणा की मूलस्रोत भाषा का यह आधिकारिक, अधिकृत रूपांतर है। अनुवाद सिर्फ सुविधा के लिए मुहैया कराए जाते हैं और उनका स्रोत भाषा के आलेख से संदर्भ लिया जा सकता है और यह आलेख का एकमात्र रूप है जिसका कानूनी प्रभाव हो सकता है। |
