पार्किन्सन्स और अल्जाइमर्स जैसे न्यूरोडिजेनरेटिव (तंत्रिका क्षरण) के कारणों में से एक कारण मस्तिष्क के आधारीय नाभिक का कड़ा हो जाना (कैल्सीफिकेशन) है। यह मस्तिष्क कोशिकाओं की बाह्य परत पर झिल्ली के प्रोटीन चैनलों को अवरुद्ध कर देता है जिससे कोशिकाओं में जाने वाले संकेत अणुओं और पोषणों का संचारण नहीं हो पाता है। इंस्टिट्यूट ऑफ़ बायोइन्फार्मेटिक्स ऐंड स्ट्रक्चरल बायोलॉजी की प्रोफेसर सुन यूह-जू, जो अकैडमिया सिनिका के इंस्टिट्यूट ऑफ़ मॉलिक्यूलर बिओलोटी में च्वां-देंग सिआओ की प्रयोगशाला के साथ मिलकर काम कर रही हैं, ने हाल में काफी लम्बे समय से “फॉस्फेट परिवाहक” की आण्विक संरचना का रहस्य हल किया है। उम्मीद की जा रही है कि डिमेंशिया के उपचार के लिए अनुसंधान पर उनके निष्कर्षों का महत्वपूर्ण प्रभाव होगा। टीम के अनुसंधान के निष्कर्ष साइंस एडवांसेस के अगस्त अंक में प्रकाशित किये गये हैं। इस प्रेस विज्ञप्ति में मल्टीमीडिया की सुविधा है। पूरी विज्ञप्ति इस लिंक पर देखें : https://www.businesswire.com/news/home/20201006005444/en/ इंस्टिट्यूट ऑफ़ बायोइन्फार्मेटिक्स ऐंड स्ट्रक्चरल बायोलॉजी की प्रोफेसर सुन यूह-जू टीम की सदस्य त्साई जिया-यिन को क्रिस्टल विकसित करने की विधि दिखाती हुई. (फोटो : बिजनेस वायर) सुन के अनुसार, मेम्ब्रेन प्रोटीन्स, जैसे कि ग्राही, परिवाहक और नलियाँ (रिसेप्टर्स, ट्रांसपोर्टर्स और चैनल्स) संकेत संचारित करने और कोशिकाओं को ऊर्जा आपूर्ति का कार्य करती हैं और उसके बाद औषधियों के विकास में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मानव फॉस्फेट परिवाहक (hPiT) मस्तिष्क की कोशिकाओं में फॉस्फेट और सोडियम आयन के परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण मेम्ब्रेन प्रोटीन है। लेकिन रोगात्मक (पैथोलॉजिकल) परिवर्तनों से यह परिवहन अवरुद्ध हो सकता है जिसके फलस्वरूप कैल्शियम फॉस्फेट कोशिका की झिल्ली (मेम्ब्रेन) के बाह्य परत पर जमने लगता है। अंततः इससे आधारीय नाभिक का कैल्सिफिकेशन हो जाता है और इस तरह पार्किन्संस रोग और अल्जाइमर्स रोग के समान न्यूरोडिजेनरेटिव लक्षण उत्पन्न होते हैं। सुन ने कहा कि मस्तिष्क के कैल्सिफिकेशन के लिए उपचार का पता लगाने में मानव फॉस्फेट परिवाहक का विश्लेषण करना और रोगियों के प्रकारों का स्थान ढूँढ़ना महत्वपूर्ण है। अगला कदम है, प्रयोग करने में कंप्यूटर गणना और उत्तेजन का प्रयोग करते हुए इस संरचना पर आधारित औषधि तैयार करने में चिकित्सकों के साथ सहयोग, ताकि मेम्ब्रेन प्रोटीनों की सामान्य कार्यात्मकता को फिर से बहाल करने में प्रभावी नन्हे रासायनिक अणुओं को पहचाना जा सके। इस नवोन्मेषी अनुसंधान में जैवभौतिकी (बायोफिजिक्स) की विशेषज्ञ च्वां-देंग सिआओ की मुख्य भूमिका थी। सुन के अनुसंधान के बाद टीम ने मानव फॉस्फेट परिवाहक के त्रिआयामी संरचना का विश्लेषण किया, सिआओ ने यह निर्धारित करने के लिए कि लक्षित स्थान पर उत्परिवर्तन से मेम्ब्रेन प्रोटीन द्वारा फॉस्फेट का परिवहन रुक सकता है या नहीं, एक कृत्रिम कोशिका झिल्ली का प्रयोग किया। मानव शरीर में 30,000 से अधिक प्रकार के प्रोटीन पाए जाते है. इनमें से मेम्ब्रेन प्रोटीन सबसे अधिक महत्वपूर्ण और सबसे कम समझे गए हैं। यही कारण है कि सुन ने इसे अपने शोध का केंद्रबिंदु बनाया है। फॉस्फेट पारिवाहक की आणविक रचना के विश्लेषण में 5 वर्ष लगे हैं। मेम्ब्रेन प्रोटीन की आण्विक संरचना के विश्लेषण में प्रथम कदम है, मेम्ब्रेन प्रोटीन क्रिस्टल को उत्पन्न करना। सुन का कहना है कि मानव फॉस्फेट परिवाहक क्रिस्टल, जो तिल के दाने के केवल दसवें भाग के बराबर होता है, के कोणीय, चमकदार, और पारभासी स्वरुप में आण्विक संरचना पर महत्वपूर्ण जानकारी रहती है, जैसा कि यह “हीरे से अधिक मूल्यवान और सुन्दर” होता है. मेम्ब्रेन प्रोटीन क्रिस्टल विकसित करने के प्रभारी टीम सदस्य त्साई जिया-यिन थीं, जो एनटीएचयू के इंस्टिट्यूट ऑफ़ बायोइन्फार्मेटिक्स ऐंड स्ट्रक्चरल बायोलॉजी में पोस्ट-डॉक्टोरल शोधार्थी हैं। businesswire.com पर सोर्स विवरण इस लिंक पर देखें : https://www.businesswire.com/news/home/20201006005444/en/ |
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