यह पांडुलिपि 14 अगस्त, 1624 की है और उसमें पोप अर्बन VIII द्वारा लिखित पोप का आदेश शामिल है, जिसे रोम के चर्च ऑफ़ सांता मारिया मैजियोरे में मुहरबंद किया गया था। इसके अलावा, महामहिम ने यूनिवर्सिटी के परिसर में अरबी और अंग्रेज़ी, दोनों भाषाओं में लिखी हुई अपनी किताब "पेपल बुल" भी भेंट की।
अपने भाषण में, शारजाह के महामहिम शासक ने अपने गर्मजोशी से भरे स्वागत के लिए रेक्टर और मिलान की सेक्रेड हार्ट कैथोलिक यूनिवर्सिटी के सदस्यों का आभार जताया।
यूनिवर्सिटी को भेंट की गई 14 अगस्त, 1624 की तारीख वाली इस पांडुलिपि के बारे बात करते हुए महामहिम ने बताया कि पोप का यह आदेश पोप अर्बन VIII द्वारा लिखा गया था, जिसे चर्च ऑफ़ सांता मारिया मैजियोरे में मुहरबंद किया गया था। इस आदेश का उद्देश्य पुर्तगाली बेड़े के लिए आर्थिक सहयोग जुटाना था।
शारजाह के महामहिम शासक ने पुर्तगालियों और अंग्रेज़ों के बीच होरमुज़ में छिड़े संघर्ष पर चर्चा करते हुए कहा, "1622 में, अंग्रेज़ों और फ़ारसी सेनाओं ने पुर्तगालियों को फ़ारस के तट से अरब की खाड़ी में दाखिल होने के रास्ते में मौजूद होरमुज़ से खदेड़ दिया था, जो एक सौ पंद्रह सालों से पुर्तगालियों के अधिकार में था। पुर्तगाली लीडर्स और पादरियों का मिशन साथ मिलकर, होरमुज़, फ़ारस या भारत में धर्म का प्रचार करना था।"
महामहिम ने आगे कहा, "जब अंग्रेज़ों ने फ़ारस में होरमुज़ से पुर्तगालियों को खदेड़ दिया, तो पुर्तगाल के राजा फ़िलिप, होरमुज़ को फिर से अपने अधिकार में लेने की कोशिशों में जुट गए। लेकिन पुर्तगाली सरकार के पास उसे वापस लेने के लिए सैन्य अभियान भेजने के लिहाज़ से पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं थे। राजा फ़िलिप ने पादरी-वर्ग से आर्थिक सहायता का अनुरोध किया, जिसके चलते पोप अर्बन VIII ने चर्च से ज़रूरी धन जुटाने के लिए यह पेपल आदेश जारी किया।"
शारजाह के महामहिम शासक ने बताया कि उन्होंने इस आदेश का अनुवाद और अध्ययन किया और इस आदेश के फलस्वरूप चर्चों से इकट्ठा किए गए धन के बारे में पता लगाया, जिससे मालूम हुआ कि वह राशि दो लाख क्रुज़ैडो के बराबर थी, जो उस समय की पुर्तगाली स्वर्ण मुद्रा हुआ करती थी। उनका लक्ष्य था एक बेड़ा बनाकर उसे भारत भेजना, ताकि होरमुज़ को वापस लिया जा सके। महामहिम ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि इस बेड़े के लिए एक ऐसे खास तरह के विशाल जहाज़ की ज़रूरत थी, जो महासागरों को पार कर सकता था। इसमें बहुत समय लगता, क्योंकि पुर्तगाल से भारत के सफ़र में ही कई महीने लग जाते।
महामहिम ने संकेत दिया कि राजा फ़िलिप ने इस धन को भारत भेजकर वहीं पर एक स्थानीय बेड़ा बनाने का आदेश दिया, क्योंकि भारत से होरमुज़ की दूरी कम थी। उन्होंने समझाया कि इस बेड़े और उसमें मौजूद अस्त्र-शस्त्रों का ब्योरा उनकी लिखी हुई किताब "पेपल बुल" में दिया गया है। इसके अलावा, किताब में होरमुज़ के युद्धस्थल तक उस बेड़े के सफ़र का विवरण भी मौजूद है, जहाँ उसका सामना अंग्रेज़ और डच सेनाओं से हुआ और आखिरकार पुर्तगाली बेड़े को हार का मुँह देखना पड़ा।
सेक्रेड हार्ट कैथोलिक यूनिवर्सिटी के रेक्टर ने शारजाह के महामहिम शासक को एक यादगार उपहार भेंट किया, जो साल 1657 के मिलान शहर का असली 3D मानचित्र था।
*सूत्र: AETOSWire
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