- बढ़ती सामाजिक मांगों को पूरा करने के लिए जूझ रही सरकारों को निजी और सामाजिक क्षेत्रों से मदद की जरूरत होगी
- संतुलित नीतियां और प्रोत्साहन सामाजिक क्षेत्र में निजी पूंजी की आमद का सबब बन सकते हैं, जिससे सरकारों को प्रभावकारिता बढ़ाने की गुंजाइश मिलेगी
सेंटर फॉर एशियन फिलैन्थ्रॉपी एंड सोसायटी (सीएपीएस) ने आज अपने डूइंग गुड इंडेक्स (डीजीआई2020) का दूसरा संस्करण जारी किया। यह अध्ययन बताता है कि सामाजिक क्षेत्र की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है, और एशियाई देश कैसे इसमें मदद करते हैं या बाधा डालते हैं। डीजीआई2020 न सिर्फ यह दिखाता है कि सरकारों को और अधिक काम करने चाहिए, बल्कि यह भी दर्शाता है कि निजी/कॉर्पोरेट दान को लोगों की जरूरतें पूरी करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
सीएपीएस के अध्यक्ष रॉनी चान ने कहा, "फिलहाल, महामारी और उसके आर्थिक नतीजों के चलते व्यापक व्यवधान और अस्त-व्यस्तता पैदा हुई है। इसकी सबसे ज्यादा मार हमारे समुदायों के सबसे कमजोर सदस्यों पर पड़ी है। ऐसे में हमें अपने समाज का पुनर्निर्माण करना है। सीएपीएस का डूइंग गुड इंडेक्स रणनीतियां उपलब्ध कराता है, जिससे सामाजिक क्षेत्र को समूचे एशिया के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण में अधिक प्रभावी भूमिका निभाने में मदद मिलती है।"
कोविड-19 प्रकोप के मद्देनजर समाजसेवा के लिए दिया जाने वाला चंदा स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग घट रहा है और "एशिया के लिए एशिया" परोपकार को इस अंतर को भरना होगा। यदि एशियाई अपने सकल घरेलू उत्पाद के 2% के बराबर दान करें, तो 587 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध हो जाएंगे। यह एशिया में आने वाली सकल विदेशी सहायता के 12 गुना के बराबर है और अतिरिक्त 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का लगभग 40% है जो एशिया प्रशांत को संयुक्त राष्ट्र के 2030 सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सालाना खर्च करना चाहिए।
सीएपीएस की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. रुथ शापिरो ने कहा, "एशिया ने दुनिया की एक-तिहाई दौलत तो इकट्ठा कर ली है, लेकिन वहां दुनिया के दो-तिहाई गरीब भी हैं। अब गरीबी कम करने, पर्यावरण की रक्षा और सामाजिक लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए इस नवनिर्मित दौलत के उपयोग का एक अनूठा अवसर है।"
डीजीआई 2020 ने एशिया भर में कई व्यापक रुझानों की पहचान की है:
1. सरकार की सहभागिता मायने रखती है, इसलिए सामाजिक क्षेत्र से संबंधित लोक नीति का न केवल सीधा प्रभाव पड़ता है, बल्कि एक संकेतार्थक पहलू भी होता है जो इसके प्रभाव को बढ़ाता है।
2. कर और राजकोषीय नीतियां समाजसेवार्थ दान के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन हैं, लेकिन उनके बारे में व्यापक तौर पर फैले भ्रम अक्सर दान से हिचक पैदा करते हैं।
3. सरकारी खरीद सामाजिक क्षेत्र के लिए विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं का प्रदर्शन अपेक्षा से कम है।
4. सरकारें नीतिगत मुद्दों पर एसडीओ से सलाह-मशविरा बढ़ा रही हैं।
5. एशिया में कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका बढ़ रही है।
डीजीआई2020 शोध ने 2,189 एसडीओ का सर्वेक्षण किया और इन 18 एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में 145 राष्ट्र विशेषज्ञों का साक्षात्कार किया: बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम।
डीजीआई 2020 यहां से डाउनलोड करें।
सीएपीएस के विषय में
2013 में स्थापित सीएपीएस समूचे एशिया में परोपकारी दान की मात्रा और गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हांगकांग में मुख्यालय वाला सीएपीएस परोपकारी लोगों के प्रभाव में वृद्धि और सामाजिक संगठनों की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए शोध कार्य करता है। सीएपीएस के शोध और सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी यहां उपलब्ध है: http://caps.org/.
businesswire.com पर स्रोत विवरण देखें: https://www.businesswire.com/news/home/20200617005325/en
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सेंटर फॉर एशियन फिलैन्थ्रॉपी एंड सोसायटी (सीएपीएस) ने आज अपने डूइंग गुड इंडेक्स (डीजीआई2020) का दूसरा संस्करण जारी किया। यह अध्ययन बताता है कि सामाजिक क्षेत्र की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है, और एशियाई देश कैसे इसमें मदद करते हैं या बाधा डालते हैं। डीजीआई2020 न सिर्फ यह दिखाता है कि सरकारों को और अधिक काम करने चाहिए, बल्कि यह भी दर्शाता है कि निजी/कॉर्पोरेट दान को लोगों की जरूरतें पूरी करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
सीएपीएस के अध्यक्ष रॉनी चान ने कहा, "फिलहाल, महामारी और उसके आर्थिक नतीजों के चलते व्यापक व्यवधान और अस्त-व्यस्तता पैदा हुई है। इसकी सबसे ज्यादा मार हमारे समुदायों के सबसे कमजोर सदस्यों पर पड़ी है। ऐसे में हमें अपने समाज का पुनर्निर्माण करना है। सीएपीएस का डूइंग गुड इंडेक्स रणनीतियां उपलब्ध कराता है, जिससे सामाजिक क्षेत्र को समूचे एशिया के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण में अधिक प्रभावी भूमिका निभाने में मदद मिलती है।"
कोविड-19 प्रकोप के मद्देनजर समाजसेवा के लिए दिया जाने वाला चंदा स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया पर केंद्रित है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग घट रहा है और "एशिया के लिए एशिया" परोपकार को इस अंतर को भरना होगा। यदि एशियाई अपने सकल घरेलू उत्पाद के 2% के बराबर दान करें, तो 587 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध हो जाएंगे। यह एशिया में आने वाली सकल विदेशी सहायता के 12 गुना के बराबर है और अतिरिक्त 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का लगभग 40% है जो एशिया प्रशांत को संयुक्त राष्ट्र के 2030 सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सालाना खर्च करना चाहिए।
सीएपीएस की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. रुथ शापिरो ने कहा, "एशिया ने दुनिया की एक-तिहाई दौलत तो इकट्ठा कर ली है, लेकिन वहां दुनिया के दो-तिहाई गरीब भी हैं। अब गरीबी कम करने, पर्यावरण की रक्षा और सामाजिक लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए इस नवनिर्मित दौलत के उपयोग का एक अनूठा अवसर है।"
डीजीआई 2020 ने एशिया भर में कई व्यापक रुझानों की पहचान की है:
1. सरकार की सहभागिता मायने रखती है, इसलिए सामाजिक क्षेत्र से संबंधित लोक नीति का न केवल सीधा प्रभाव पड़ता है, बल्कि एक संकेतार्थक पहलू भी होता है जो इसके प्रभाव को बढ़ाता है।
- आज, 45% एशियाई सामाजिक विकास संगठनों (एसडीओ) को विदेशी स्रोतों से चंदा प्राप्त होता है (उनके बजट का लगभग 25%), लेकिन आधे से अधिक एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी चंदे में कमी देखी जा रही है।
2. कर और राजकोषीय नीतियां समाजसेवार्थ दान के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन हैं, लेकिन उनके बारे में व्यापक तौर पर फैले भ्रम अक्सर दान से हिचक पैदा करते हैं।
- एशिया में 25% एसडीओ इस बात से अनजान हैं कि समाज की सेवा हेतु किए गए दान पर करों में कटौतियां मिलती हैं।
3. सरकारी खरीद सामाजिक क्षेत्र के लिए विकास का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकती है, लेकिन इस क्षेत्र में अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं का प्रदर्शन अपेक्षा से कम है।
- सरकारी अनुबंध वाले 61% एसडीओ के लिए खरीद संबंधी जानकारियां हासिल कर पाना टेढ़ी खीर होता है।
4. सरकारें नीतिगत मुद्दों पर एसडीओ से सलाह-मशविरा बढ़ा रही हैं।
- जिन संगठनों का सर्वेक्षण किया गया उनमें से तीन-चौथाई ने नीतिगत सलाह-मशविरों में शामिल होने की बात स्वीकार की। 2018 में ऐसे संगठनों की संख्या आधी थी।
5. एशिया में कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका बढ़ रही है।
- 18 में से 11 अर्थव्यवस्थाओं का कहना है कि सीएसआर और सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
डीजीआई2020 शोध ने 2,189 एसडीओ का सर्वेक्षण किया और इन 18 एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में 145 राष्ट्र विशेषज्ञों का साक्षात्कार किया: बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम।
डीजीआई 2020 यहां से डाउनलोड करें।
सीएपीएस के विषय में
2013 में स्थापित सीएपीएस समूचे एशिया में परोपकारी दान की मात्रा और गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हांगकांग में मुख्यालय वाला सीएपीएस परोपकारी लोगों के प्रभाव में वृद्धि और सामाजिक संगठनों की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए शोध कार्य करता है। सीएपीएस के शोध और सेवाओं के बारे में अधिक जानकारी यहां उपलब्ध है: http://caps.org/.
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