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सैंट्रल टी.बी. डिवीज़न और यूएसएड के साथ मिलकर केएचपीटी ने महामारी के दौर में लैंगिक आधार पर एक समान स्‍वास्‍थ्‍य के विषय पर पैनल चर्चा की मेज़बानी की

  • Saturday, March 6, 2021 12:23PM IST (6:53AM GMT)
पैनल में शामिल सदस्‍यों ने भारत में लैंगिक आधार पर प्रतिक्रियाशील स्‍वास्‍थ्‍य नीति ढांचे और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाने के लिए नीति-निर्माताओं एवं प्रभावित समुदायों की भूमिका पर बात की
 
New Delhi, Delhi, India:  कर्नाटक हैल्‍थ प्रमोशन ट्रस्‍ट (KHPT) ने सैंट्रल टी.बी. डिवीज़न (CTD) और युनाइटेड स्‍टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के सहयोग से एक वेबीनार का आयोजन किया जिसमें भारत की स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई ताकि वह लैंगिक आधार पर ज्‍यादा प्रतिक्रियाशील बन सके, खासकर कोविड-19 महामारी के संदर्भ में।

इस वेबीनार में नीति-निर्माता, स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, थिंक टैंक लीडर शामिल हुए और उन्‍होंने वंचित समुदायों, विशेषकर महिलाओं की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जरूरतों के निर्धारण व उन पर प्रतिक्रिया देने में लैंगिक महत्‍व पर विचार-विमर्श किया।

पैनलिस्‍टों में शामिल थे – डॉ निशांत कुमार, उप निदेशक, सीटीडी, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय; सुश्री संगीता पटेल, निदेशक, हैल्‍थ ऑफिस, यूएसएड/भारत; श्री मोहन एच एल, सीईटो, केएचपीटी; डॉ अवनी अमीन, टैक्निकल ऑफिसर, डिपार्टमेंट ऑफ रिप्रोडक्टिव हैल्‍थ एंड रिसर्च ऑन वायलेंस अगेंस्‍ट विमेन, डब्‍ल्‍यूएचओ, जेनेवा; डॉ दलबीर सिंह, प्रेसीडेंट, ग्‍लोबल को‍एलिशन अगेंस्‍ट टी.बी. तथा सुश्री पल्‍लवी प्रसाद, पत्रकार।

सबसे ज्‍यादा कमजोर आबादी की जरूरतों पर ध्‍यान आकृष्‍ट करते हुए श्री मोहन एच एल, सीईटो, केएचपीटी ने कहा, ''केएचपीटी सभी समुदायों को सशक्‍त करने के लिए समर्पित है, खासकर उन्‍हें जो सबसे ज्‍यादा वंचित हैं। किसी भी अन्‍य आपदा की तरह महामारियों का असर भी महिलाओं पर ज्‍यादा पड़ता है, और गरीब व सामाजिक हाशिए पर पड़े तबकों पर और अधिक प्रभाव होता है। हमें ऐसी सक्षम व्‍यवस्‍था की आवश्‍यकता है जहां विपरीत स्थिति में पड़ी महिलाओं की खास जरूरतों का समाधान किया जा सके। हम सभी के लिए एक समान स्‍वास्‍थ्‍य चाहते हैं इसलिए हमें बाधाओं को समझना होगा, लैंगिक आधार पर संवेदनशील समाधान तैयार करने होंगे, पैमाने के लिए सफलताओं के साक्ष्‍य बनाने होंगे – इस प्रकार हम इस दिशा में जिम्‍मेदारी के साथ ठोस कदम उठा सकेंगे। मुझे विश्‍वास है कि इस चर्चा में हमें विशेषज्ञों से व्‍यावहारिक जानकारी मिलेगी ताकि हम सब के लिए स्‍वास्‍थ्‍य सुनिश्चित करने के साझा लक्ष्‍य की ओर मिलजुल कर काम कर सकें।''

डॉ निशांत कुमार, उप निदेशक, सीटीडी, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने कहा, ''टी.बी. उन्‍मूलन हेतु भारत की प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखते हुए सीटीडी इस लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए सभी प्रयास कर रहा है ताकि सर्वग्राही, बहुक्षेत्रीय, व्‍यक्ति-केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित किए जा सकें। लैंगिक आधार पर प्रतिक्रियाशील टी.बी. उपचार सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए हमने अक्‍टूबर 2018 में महिलाओं के लिए टी.बी. पर एक राष्‍ट्रीय तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन किया। यह ढांचा विभिन्‍न स्‍तरों पर टी.बी. और लैंगिक पहलू के परस्‍पर संबंधों को दर्शाता है, टी.बी. के बोझ एवं प्रतिक्रिया लैंगिक प्रभावों एवं बाध्‍यताओं को रेखांकित करता है, उन कार्यों को परिभाषित करता है जिनसे लैंगिक आधार पर प्रतिक्रिया अपनाने में मदद मिलेगी, तथा इन कार्यों को लागू करने हेतु मार्गदर्शन मिलेगा।''

सुश्री संगीता पटेल, निदेशक, हैल्‍थ ऑफिस, यूएसएड/भारत ने इस मुद्दे को हल करने में यूएसएड की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा, ''मुझे गर्व है कि यूएसएड और उसके सहयोगी स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम तैयार व लागू करते समय लैंगिकता को ध्‍यान में रखते हैा। लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर यूएसएड की नीति का लक्ष्‍य दुनियाभर के वंचितों के जीवन में सुधार लाना है। इस उद्देश्य से महिलाओं व लड़कियों के बीच समानता को बढ़ावा दिया जाता है, उन्‍हें सशक्‍त बनाया जाता है ताकि वे अपने समाजों के विकास में भाग लें और उनसे लाभ पाएं। टी.बी. कार्यक्रम समेत हमारे सभी हस्‍तक्षेपों के लिए यह सत्‍य है।'' 

लिंग आधारित पहलों में लड़कों और पुरुषों की भागीदारी को रेखांकित एवं स्‍वीकार करते हुए डॉ अवनी अमीन, टैक्निकल ऑफिसर, डिपार्टमेंट ऑफ रिप्रोडक्टिव हैल्‍थ एंड रिसर्च ऑन वायलेंस अगेंस्‍ट विमेन, डब्‍ल्‍यूएचओ, जेनेवा ने कहा, ''पुरुषों व लड़कों को शामिल करने वाले हस्‍तक्षेप ऐसे होने चाहिए जो हानिकारक पुरुषत्‍व, पुरुषों के विशेषाधिकार एवं महिलाओं पर सत्‍ता को चुनौती देकर उन्‍हें अभिप्रायपूर्वक, लैंगिक विषय पर परिवर्तित करें। ऐसी पहलों में क्षमता होती है कि वे पुरुषों के जोखिमकारी बर्ताव को कम करें, महिलाओं का हाथ बंटाने में मददगार बनें, निर्णय लेने में उन्‍हें रखें। ऐसा होने से पुरुषों के स्‍वास्‍थ्‍य पर भी सकारात्‍मक असर पड़ता है और महिलाओं की सेहत तो बेहतर होगी ही क्‍योंकि स्‍वास्‍थ्‍य के विषय पर लैंगिक समानता बढ़ेगी।''

डॉ दलबीर सिंह, प्रेसीडेंट, ग्‍लोबल को‍एलिशन अगेंस्‍ट टी.बी. ने कहा, ''लैंगिक समानता और लैंगिक सहभागिता के लिए विभिन्‍न तरीकों का उपयोग करते हुए समाधान किया जा सकता है जिनमें कानून, संगठनात्‍मक प्रक्रियाएं, जागरूकता प्रसार तथा सूचनाओं को एकत्र करना शामिल हैं। उपयुक्‍त नीति ढांचा, मजबूत राजनीतिक इच्‍छाशक्ति, पुख्‍ता स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली लैंगिक असमानताओं से उबरने एवं उत्‍तम इलाज तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवश्‍यक हैं। सामाजिक बदनामी आदि चुनौतियों को समुदायों एवं स्‍थानीय सरकारों के साथ गहराई से जुड़कर हल किया जा सकता है।''


कर्नाटक हैल्‍थ प्रमोशन ट्रस्‍ट (KHPT) के बारे में

कर्नाटक हैल्‍थ प्रमोशन ट्रस्‍ट (KHPT) एक गैर-मुनाफा प्राप्‍त संगठन है जो भारतीयों के स्‍वास्‍थ्‍य तथा कल्‍याण में सुधार हेतु साक्ष्‍य आधारित कार्यक्रमों को आगे बढ़ाता है। KHPT मुख्‍य रूप से मातृत्‍व, नवजात एवं बाल स्‍वास्‍थ्‍य, टी.बी., किशोर स्‍वास्‍थ्‍य और व्‍यापक प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के क्षेत्रों में काम करता है। KHPT ब्रेकिंग द बैरियर्स पर अमल कर रहा है जो एक चार-वर्षीय (2020-2024) प्रोजेक्‍ट है, जिसे यूएसएड का समर्थन हासिल है और टी.बी. अलर्ट इंडिया, वर्ल्‍ड विज़न इंडिया तथा केयर इंडिया इस प्रोजेक्‍ट में साझेदार हैं जो क्रमश: कर्नाटक, तेलंगाना, असम तथा बिहार में इसे लागू कर रहे हैं। इस प्रोजेक्‍ट का लक्ष्‍य व्‍यवहार में बदलाव लाने के लिए अभिनव और प्रभावी ऑपरेशनल मॉडल विकसित किए जाएं ताकि जोखिम में पड़े कुछ खास वर्गों की कवरेज में सुधार हो सके। ऐसे वर्गों में शामिल हैं – शहरी कमज़ोर तबके, आदिवासी समुदाय, प्रवासी, खनन/औद्योगिक/चाय बागान कामगार। इस तरह, टी.बी. के मामलों की ज्‍यादा सूचनाएं दर्ज होंगी तथा जो मरीज़ ड्रग सेंसिटिव टी.बी. और ड्रग रेजिस्‍टेंट टी.बी. से जूझ रहे हैा उनके इलाज के बेहतर परिणाम मिल सकेंगे।

KHPT या ब्रेकिंग द बैरियर्स के बारे में और जानकारी के लिए कृपया देखें www.khpt.org
 
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Shramana Majumder (Communications Specialist, Breaking the Barriers), KHPT, [email protected], +91-9831388083

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